एपीसोड ---५ महिला समिति की तरफ़ से कभी बच्चों के शेल्टर होम जाना हो या अस्पताल में सामान बाँटने समिधा कविता को बुला लेती है, बिचारी घर में पड़ी-पड़ी बोर होती रहती है । समिधा वहाँ जाते समय गाड़ी में कविता को बताती जाती है, “जैसे-जैसे दुनियाँ प्रगति कर रही है, महिलायें अच्छी शिक्षा पा रही हैं ये महिला समितियाँ भी बदल रही हैं । ये अब कोई रेसिपी या व्यंजन बनाना सीखने की जगह नहीं रही है । केम्पस में सुधार, आस-पास के गरीब बच्चों में सुधार आरम्भ हो जाता है । यदि कोई पदाधिकारी साहित्यिक अभिरुचि की होगी