पंचकन्या - भाग 1 - मानस

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#पंचकन्या #भाग_1........#मानस यूँ तो सनातन धर्म में नारी सर्वत्र पूज्यनीय मानी जाती है। कहा जाता है कि यदि किसी यज्ञ को जोड़े में न किया जाय तो वो पूर्ण नहीं माना जाता चाहे वो यज्ञ स्वयं परमपिता ब्रम्हा जी करें। इसी कारण ब्रम्हा जी को ब्रम्हाणी के श्राप को भी भोगना पड़ा। ब्रम्हाणी के श्राप के कारण ही पुष्कर के अतिरिक्त ब्रम्हा जी का कोई मन्दिर भी नहीं हैएक बार ब्रह्मा जी संसार की सुख और शांति के लिये यज्ञ करना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने पुष्कर की भूमि को चुना। जब ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे