अनकही पीड़ा ‘ अरे, इसकोे लेकर कहाँ आ रही हो, काम करने आई हो या इसे खिलाने...।’ सुजाता ने पूनम की गोद में लड़की को देखकर वितृष्णा से कहा । ‘ क्या करती मेमसाहब, आज इसकी तबियत ठीक नहीं है...।’ पूनम ने सिर झुकाकर मिमियाते हुए कहा । ‘ ठीक है, ले तो आई हो लेकिन इसे अंदर लेकर मत आना, बाहर बरामदे में बिठा दो...।’ कहकर वह लूसी को गोद में लेकर बाल काढ़ने लगी तथा पूनम जल्दी-जल्दी काम निबटाने में लग गई । सुजाता मेमसाहब कुतिया को गोद में बिठाकर बाल