खाना - पीना हो गया और फिर हमारी बैठकी जमी मम्मी के घर उस रात। सब अपनी - अपनी बातें बता रहे थे । कुछ ही दिनों पहले मम्मी सेवा - निवृत हुई थी। मां ने कहा कि आज वो हमलोग को अपने नौकरी के दिनों की एक कहानी सुनाना चाहती हैं। सब लोग एकत्रित हो चुके थे। स्वभावतया मम्मी कभी कहानी सुनाने वाली रही है नहीं। कर्मशील यह महिला मेरी और कितनों की आदर्श रही हैं। उन दिनों जब महिलाएं इक्का - दुक्का ही नौकरी करती थी, तब जमींदार घराने की मेरी मां अपने मायके और ससुराल की पहली