मानवता की जीवित लाश

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हाय रे मानव! जातिक्या हो गया है तुझकोतू तो ऐसा नहीं था,फिर तुझको क्या हो गया है।आओ देखें मिलकर हम इस बार कब तक जीवित रहती है यह लाश,सुनने में थोड़ााा अटपटा लगेगाकहीं लाश भी जीवित रहती है क्या?मैं इस जगह को बता दूगामैंनेे जिंदा लाशोंं को देखा है,पता अगर तुम जाने ना चाहोलो मैं तुम्हें अभी दे रहा हूंतुम मुझ पर विश्वास करो या ना करो,लेकिन आज मैं तुम्हेंहें जीवित लाश ही कहूंगा क्योंकि मैं नहीं मानवता को मरते देखाा है।सड़क गलिया शहरों में नहीमैंनेेे पवित्र पावन जंगल में,मानवता को मरते देखा हैमैं तो साक्षी नहीं हूंपर मरी मानवता की