सपनों की चादर

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एक साल पहले हिसाम अपने गांव में ही रहता था। दूसरे बच्चों की तरफ स्कूल जाता था। शाम को गिल्ली डंडा खेलता। दूसरे बच्चों को साइकिल चलाता देखता था तो उसका दिल भी करता था कि वह साइकिल चलाए। लेकिन उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं थे कि हिसाम के लिए एक साइकिल खरीद पाए। फिर भी हिसाम ने कभी इस चीज के लिए अपनी मां से जिद नहीं की। खुद को समझाता बड़ा हो जाउंगा न तो साइकिल क्या मोटरसाइकिल लूंगा। एक बार पढ़ लिख कर कलेक्टर बन गया न तो ऐसी कई सारी साइकिल ले लूंगा। ऐसी