अलविदा

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सात बजे का अलार्म के बजते ही नित्या रोज़ की तरह रसोई के काम निपटाने लग गयी। वह कॉलेज में प्रोफेसर थी और दिन में उसे सिर्फ दो या तीन लेक्चर ही लेने होते थे ।आज उसका लेक्चर ग्यारह बजे था, सो आज आराम से घर के बाकि काम भी निपटा सकती थी । रोज उसकी कोशिश यही रहती थी कि कॉलेज जाने से पहले घर का सारा काम खत्म हो जाए ताकि घर आकर फिर से काम में जुटने का झंझट न हो । पति राहुल को ऑफिस भेज कर वह सुबह-सुबह ही फेसबुक खोल कर बैठ गयी ।