लोकतंत्र के पहरुए

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लोकतंत्र के पहरुए अपनी मस्ती में थे वे सब ...। सुख में इतने डूबे कि आँख मूंदे भीतर तक डूब कर इन क्षणों को जी लेना चाहते थे वे, जो जगना की वजह से उन्हें देखने को मिले। सन्तो और जगना भी दोनों बहुत खुश हैं और दोनों ही लगातार सोच में डूबे । सन्तो ने सारी व्यवस्था अच्छे ढंग से संभाल रखी थी। किसी को खाने की शिकायत न रहे न ही ठहरने की या निस्तार की। इसी कार्यकुशलता के कारण तो जगना उसकी खूब तारीफ करता था अपने दोस्तों के सामने, ...कि यह एक चतुर और घर चलाने