अम्मी इद्दत में बैठी थी।।बड़ी मान मनोव्वल ओर इलतेजाओ के बाद वो कुछ दिन की मोहलत देकर चले गए। इद्दत पूरी होते ही अम्मी ने कुछ जमा पेसो से लेडीज सूट्स का काम कर लिया।।तपती दोपहरों में बाबा का गम लिए वो घरो घरो जाती और सूट्स दिखाती।कभी कोई खरीद लेता तो कभी कोई इतने कम दाम लगा देता की अम्मी का हौसला ही हिल जाता।। लेकिन वो फिर हिम्मत जुटाती क्योंकि वो जानती थी कि मांगी हुई मोहलत कभी भी खत्म हो सकती है। ओर इंसान के भेष में छुपे हैवान कभी भी हैवानियत पर उतर सकते है।कुछ दिन गुज़रने