यारी - 1

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शाम के 5:00 बजे थे मैंने बैंक से बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ जाने के लिए निकल पड़ा। घर पहुंच कर सीधा अपने रूम में पहुंचा और फ्रेश होकर अपने बेड पर लेटा,पर पता नहीं क्यों आज सुबह से किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था। शायद कुछ टाइमपास हो जाए यह सोचकर मैंने मोबाइल हाथ में लिया कुछ देर तक देखने के बाद उसे भी बेड़ की साइड पर रख लिया और बेडरूम की बाल्कनी की तरफ बढ़ा।बाहर देखा तो सूरज धीरे धीरे ढल रहा था,पंछी अपने घौंसले की तरह बढ़ रहे थे फाल्गुन महीने