देह की दहलीज पर - 2

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साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 2 कामिनी की सोच की रफ्तार कार की स्पीड के साथ बढ़ती जा रही थी। अन्तस में विचारों की रेलमपेल से सड़क की भीड़ अदृश्य सी हो गई। विचारों में गुम उसे पता ही नहीं चला कि चौराहे पर सिग्नल रेड लाइट शो कर रहा था। क्रॉस करते समय लेफ्ट साइड से आती गाड़ी के ड्राइवर ने उसे भद्दी सी गाली दी, तब उसकी तन्द्रा टूटी। उसने गाड़ी रिवर्स की और शर्मिंदगी और असहाय वाले भाव से इधर उधर देखकर चुपचाप