गुप्तचर : "महाराज हमे लगता है ये कोई चाल है दुश्मन राज्य के राजाओं की। आपका जीव बचाकर आपका विश्वास जीता ओर महल में घुस गया जो किसी गुप्तचर के लिए बहुत कठिन वस्तु है किसी भी महल की रक्षाकवच को पार कर पाना। दूसरा गुप्तचर : " महाराज ! हो सकता है वो तीर उसकी चाल का एक भाग हो आपका विश्वास जितने के लिए। अन्यथा उसे कैसे पता की शिकारी का छोड़ा हुआ बाण आपको ही लगेगा।" सेनापति : "में गुप्तचर की बात से सहमत हूं महाराज "