धरना - 4

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लग भग 8 माह बाद प्रिया... प्रिया... प्रिया दौड़ती हुई सी आती हैं... आ रही हूं बाबा आ रही हूं... निखिल प्रिया को नज़र भर के देखता हैं... कोई कमी रह गयी क्या...? हा वही देख रहा था तुम्हारे साज श्रंगार में कुछ छूट तो नहीं गया.. हां ठीक से देख कर बताना वरना लोग यही कहेंगे देखो निखिल मल्होत्रा को बेचारी श्रंगार में कितना कोम्प्रोमाईज़ करके रहती हैं... आपको ही लोग कंजूस समझेंगे... इतना सुन कर निखिल हाथ जोड़ लेता हैं...जी गलती हो गई धर्म पत्नी जी... आप परिपूर्ण श्रंगार की देवी लग रही हैं... आपके श्रंगार में कोई कमी नहीं रह गई हैं... क्या हम अब