मंझली दीदी - 5

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दूसरे दिन सवेरे ही किशन चुपचाप हेमांगिनी के घर पहुंचकर उसके बिस्तर पर पैरों की ओर जाकर बैठ गया। हेमांगिनी ने अपने पैर थोड़े से ऊपर खींच लिए और बड़े प्यार से कहा, ‘किशन, दुकान पर नहीं जाएगा?’ ‘अब जाऊंगा।’ ‘देर मत कर भैया! इसी समय चला जा। वरना गालियां देने लगेंगी।’ किशन का चहेरा एक बार लाल पड़ा और फिर पीला पड़ा गया, ‘अच्छा जाता हूं,’ कहकर वह उठ खड़ा हुआ। उसने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन फिर चुप हो गया। हेमांगिनी ने जैसे उसके मन की बात समझ ली, पूछा - ‘क्या मुझसे कुछ कहना चाहता है भैया?’ किशन ने जमीन की ओर देखते हुए बहुत ही कोमल स्वर से कहा, ‘मंझली दीदी! कल से कुछ भी नहीं खाया।’