शैलेन्द्र चौहान यथार्थ का चित्रण, वैज्ञानिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण पक्ष है और उसका वैचारिक प्रतिफलन हमें रिपोर्ताज, डायरी, लेख, राजनीतिक आलेख इत्यादि में देखने को मिलता है। हिन्दी के आधुनिक साहित्य में यह सब विविध आयम आज परिलक्षित होते हैं। स्व. रघुवीर सहाय एक अच्छे कवि रचनाकार तो थे ही वह एक अच्छे सम्पादक तथा अखबारनवीस भी थे। उनके रिपोर्ताज शैली में कुछ लघु निबंध संकलित हैं 'भँवर, लहरें और तरंग' नाम से उसका अन्तिम निबंध है, 'रोटी का हक'। वैज्ञानिक विचार मंथन की एक साहित्यिक प्रस्तुति यह भी है - "पिछले कुछ वर्षों में कुछ एक झूठ चारों तरफ फैले हैं उनमें