१८) जितनी उंगलियाँ, उतनी अंगूठियाँ। घर से निकले तो मुहूर्त देखना, किसी भी काम को प्रारम्भ करने के लिए खुद पर नहीं, न्यूमरोलॉजिस्ट पर ज़्यादा भरोसा रखना। लोगों को ये क्या हो गया है? किस्मत टटोलने, खोलने, बदलने वाले शास्त्र अपनी जगह पर हैं और किस्मत बदलने के लिए कर्मप्रवृत्त होना दूसरी बात है। वैसे देखें तो कौन-सी अंगूठी पहनें, या पहले दायाँ कदम उठाएँ या बायाँ, ये पूछने का कष्ट उठाना भी तो कर्म ही है। कर्म करेंगे तो कम त्रस्त होंगे। किस्मत की क्लीनिंग कर सकने वाली कई लॉन्ड्री भगवान ने नहीं बनाई है। सफल, सुखी और संतुष्ट