तलाक

(41)
  • 10.6k
  • 5
  • 2.2k

सुबह ने अपना अस्तित्व जमा लिया था। शरदीकी खुशनुमा मौसम चारो ओर छाई हुई थी। रहमत जब अपनी निंद से उठा तो अपनेआप को घर में अकेला पाया। उसने शबाना को आवाज लगाई और अपने बेटे को भी आवाज लगाई पर सामने से कोई आवाज न आया.। उसने सोचा की शबाना बच्चे के साथ शायद बार गई होगी तो आ जाएगी। रहमत सुबह का नित्यकर्म करके नास्ते के टेबल पर बैठा तो देखा टेबल पर नास्ता न था। वह किचन में गया पर वहाँ परभी कुछ बना हुआ नहीं था। उसने सोचा की शायद वह जल्दी में होनेकी वजह से