बिन रंगों की रंगीन दुनिया,
दिखती है कितनी हसीन दुनिया।
खेलती है सबके साथ खेल ऐसा,
जैसे चल रहा हो मदारी के बंदर का किस्सा।
किसी की मदद को आती नहीं,
बिन जीभ चलाए जाती नहीं।
मज़ाक के चक्कर में उजाड़ दी किसी की दुनिया,
फिर भी बेशर्मों की तरह हंस रही थी दुनिया।
- Neelam verma