The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
एक उम्र लगती है जज़्बातों को लफ्ज़ देने में जाँना.. फकत दिल टूट जाने से कोई शायर नहीं बनता..
उसका लहजा सर्द था लेकिन इश्क़ ने कितने दिल जलाए है
जहाँ भी देखूँ नज़र आया कि तु है..! कोई और तुझ सा है कि तु है..
मुस्तक़िल इम्तिहाँ हर लफ्ज़ ग़ज़ल में चाह निकले मय-कशी तेरी नज़र में झलकें महफ़िलों में वाह्ह निकले
एक नज़्म एक ग़ज़ल उलझा उलझा सा कोई ज़िंदगी..! तेरी बज़्म से सुलझा सुलझा ना कोई
ખબર નથી આ દિલ કોનાથી ગભરાય છે આમ તેમ થઇ તારા વિચારોમાં અથડાય છે
એક તારા ખયાલે હરખાય “મન” જોઈ તને અમસ્તું મલકાય“મન”
रोएँ न अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे होना है अभी मुझ को ख़राब और ज़ियादा
मैं हकीक़त को हकीक़त दिखाऊ कैसे, तेरी मर्जी मुताबिक नज़र आऊँ कैसे
ખાલી અંદાજ નથી પૂરી ખાતરી છે , તારા વિચારોમાં પણ મારી થોડી ઘણી હાજરી છે..!!
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser