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ए मालिक ए ख़ुदा बता तेरी रजा क्या है करे जो कोई इश्क़ में धोखा तो उसकी सज़ा क्या है मै तो तेरा नेक बंदा था तो फिर किया क्यों ऐसा मेरे साथ और जो थी अगर ये तेरी ही लिखावट तो बता अब इस दर्द की दवा क्या है -बदनाम शायर
ये दिल यूहीं उदास नहीं कुछ तो बात है माना हम तेरे लिए कुछ नहीं मगर तू बहुत खास है -बदनाम शायर
इक इक कर सब ख्वाब टूट गए हमारे दिन आए नहीं अच्छे हमारे शब ए इंतजार में काट दी उम्र सारी हमने मगर अब उनसे भी क्या गिला जो कभी हुए ही नहीं हमारे -बदनाम शायर
वो मुझमें रहा बन के एक आदत की तरह मैं मुसलसल चूमता रहा उसे इबादत की तरह
तुम दुआ हो कोई या हो हकीकत ज़रा बतला दो मुझे क्या है हकीकत वो वाकिफ थे मेरे हर पहलू से मगर गैरों पे किया भरोसा है ये हकीकत वो दिल है रूह है वो जान है मेरी लेकिन वो बेवफ़ा भी है ये है हकीकत हमने रो रो कर काटी हैं हिज्र की रातें रकीब से खुश तो वो भी नही है ये हकीकत लोग पूछते हैं बदनाम से लिखने का सबब इश्क़ में किया खुद को बर्बाद बस है ये हकीकत
तुम हो पर तुम हो नही कहीं एक पत्थर धड़कता है सीने में मेरे लगता है मेरा दिल खो गया है कहीं
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