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ઘણી વાર એવુ પણ બને છે કે માણસ કોઇની સાથે ખુશ તો રહી શકે છે ,, પણ ઇચ્છે તો પણ એને પ્રેમ નથી કરી શકતો ....
કદાચ ઇશ્વરે પણ શરતો વિનાના પ્રેમ ની લાગણીઓ ને અનુભવી હશે , એટલે જ તો કદાચ એણે મારા હાથમાં શ્વાસ ની રેખા માં તારી છબી મૂકી હશે.... Ankita
પ્રેમ એ નથી કે બે વ્યક્તિ એક્બીજાની થઈ જાય , પણ સાચો પ્રેમ એ છે કે ........ બે વ્યક્તિ ને મન થી કોઈ બીજાની ન થવા દે .... ankita
રમતો તો બઉ હોય છે રમવા માટે , પણ ખબર નઇ કેમ..!! આજકાલ લોકો ને , સંબંધ નામ ની રમત રમવાનો શોખ ચઢ્યો છે ...
Aksar log dil tutne par shayari likh jate he , Par ham ..!! Ham to uske sachhe pyaar ko pakar likhana sikh gaye..... -Ankita
સંબંધો માં smartness નો high speed data વાપરી , રમતો રમી ક્યારેય ખુશ ના થવુ કારણકે , એનું bill માણસ નહીં ઉપરવાળો બનાવે છે .......
Adhuri bateein aur adhure ahesas, agar vakt par pure na ho to hamesha .....!! hamesha adhure hi rah jate hein... -Ankita
ઘણુ બધુ લૂટાવ્યા પછી, આજે મને પણ કશુક લુંટવાની ઇચ્છા થઈ .... અને ઘણુબધુ શોધ્યા પછી , લુંટવા માટે મને એક અમૂલ્ય ખજાનો મળ્યો , "જીંદગી.....!!!" -- અંકિતા
एक चुलबुले से सपने ने हसना छोड़ दिया , किश्तों में मिल रही खुशिओ को जोड़ कर जीना सिख लिआ
बेटी अपनी बेटीओ को बेटीओ की तरह ही पाला है मैने, बेटी बचाकर नही, पराया धन समजकर नहीं, रब से दुआओ मे मांगकर उसे संजोया है मैने । डर कर नहीं ,झूक कर नहीं, पर डट़ कर जीना सीखाऊंगी में, बेटी को मेरी बेटी ब नकर जीना सीखाऊंगी में । परीओ की कहानीआ सुनाउंगी, सपनो की दुनीया में जीना भी और अपने हर सपने को पुरे करने के लीए पंख फैलाना भी सीखाऊंगी मैं, पर फुलो की राह ना ब नाकर कांटो पर चलना सीखाऊंगी में , बेटी को मेरी बेटी ब नकर जीना सीखाऊंगी में । ये दुनीया एक खुब सुरत बागीचा है, इसमें हरीयाले पेड भी है ,और सुखे पत्ते भी, सुब सूरत फूल है अौर कुछ मुरजाये से भी, पर बागीचे का सब से सुंदर फूल वो खुद है, फूलो की तरह रंग बीखेरना ,खुश्बु की तरह खुशीया फैलाना जरुर सीखाऊंगी में, पर उस फुल को कोई तोडने की या मसलने की चाह करे तो कांटो की तरह चुभना भी सीखाऊंगी में । बेटी को मेरी बेटी बनकर जीना सीखाऊंगी में । ना समजाउंगी मैं दुनीया की बुराइया , ना भरुंगी उसमें में समाज की नकारात्मक विचारधाराए, हर एक कदम पे कीसी और की महोर का मोहताज बनना नहीं , पर उसकी जींदगी के फैसले खुद करना और उसकी जिम्मेदारी लेना सीखाऊंगी में । बेटी को मेरी बेटी बनकर जीना सीखाऊंगी में । हर कीसी को प्यार देना, जीवन मैं आने वाले हर नए रीश्तो का मान सम्मान करना , त्याग ,बलिदान,भावनाओ को समजना सब सीखाऊंगी में, पर उन हर कीसी म अपना खुद का नाम भी शामील करना जरुर सीखाऊंगी मैं, और बात अपने स्वमान की हो तो डट कर लडना भी सीखाऊंगी में । बेटी को मेरी बेटी बनकर जीना सीखाऊंगी में । थक जाए, रुक जाए,गीर जाए, पर अपनी मंजिल की तरफ हर पल आगे बढते रहना और जिंदगी की हर एक जंग जीते ना सही पर कभी बीना लडे हार न मानना सीखाऊंगी में, और ऐसे जीने को या ऐसी परवरीश को दुनीया वाले चाहे जो नाम दे ,पर ईसे गर्व से ,मरज़ी से ,मान सम्मान से जीना कहते है वो ज़रूर सीखाउंगी मैं। बेटी को मेरी बेटी बनकर जीना सीखाऊंगी में । सजना, सवरना, शरमाना,पलके झुकाना,धीरे से मुस्काना सब सीखाऊंगी, पर अपनी रक्षा के लीए खुद की कलाई पर राखी सबसे पहेले बांधना सीखाऊंगी में, बेटी को मेरी बेटी बनकर जीना सीखाऊंगी में ।
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