मेरे हर रंग पर, बस तुम्हारा असर है,
इस दिल में हर जगह, तेरा ही गुज़र है।
ये कैसी कशिश है, ये कैसा है जादू,
जहाँ भी मैं देखूँ, उधर तू ही नज़र है।
मेरी ख़ामोशियों में जो शोर-ए-बयाँ है,
वो लफ़्ज़ों से ज़्यादा, तेरी ही ख़बर है।
भला कैसे खुद को, मैं तुझसे बचाऊँ,
ये धड़कन भी बोले, तेरी ही सहर है।
जो नींदों में आकर, मुझे चैन देती है,
वो ख्वाबों की दुनिया, तेरा ही शहर है।
ये माना कि मुश्किल है तुझको भुलाना,
मगर तेरी यादों में जीने का हुनर है।
ग़ज़ल क्या लिखूँ, अब मैं तेरे असर पर,
मेरी शायरी भी तो तेरा ही सफ़र है।