"तेरी मौजूदगी"
तेरी मौजूदगी कुछ यूँ असर करती है,
जैसे ठंडी हवा में महकती कोई सुबह करती है।
तेरी मुस्कान देख लूँ तो लगता है,
ज़िंदगी ने आज फिर मुझे नया कारण दिया है जीने का।
तेरी आँखों में जो सुकून है,
वो किसी दुआ से कम नहीं,
हर बार जब तू पास होती है,
दिल को लगता है — अब कोई कमी नहीं।
तेरे बिना दिन तो निकल जाते हैं,
पर ज़िंदगी नहीं चलती,
हर शोर के बीच भी बस तेरी आवाज़ सुनाई देती है,
हर भीड़ में बस तू नज़र आती है।
ना जाने ये कैसा रिश्ता है,
बिना नाम का, बिना उम्मीद का,
पर जब तू पास होती है —
सब कुछ मुकम्मल-सा लगता है,
जैसे रूह ने अपना घर पा लिया हो।
Payal