रावण ..
रावण अपनी कर्मो की सजा पा गाय
कर्म ही ऐसे थे रावण के...
हा पर एक बात थी रावण में
वो छाती ठोक बताते थे की मैं
रावण हू..
नाही तो आज कल के रावण देखो
आपने 10 चेहरे छुपाकर राम होने
का ढोंग रचाते फिरते है।
इतना तो पता होना चाहिए कि
खुद की तारीफ़ सिर्फ रावण ही
कर सकता है....
मैं ये हु मै वो हु.. अरे हट तू कुछ भी नहीं
जिसे खुद की तारीफ़ करनी पढ़े
वो असल में कुछ नहीं होता..
फूल अपने खुशबू से ही जाने जाते हैं
और इंसान अपनी किरदार से..