मां, मेरे पास कुछ नहीं, बस एक मन है,
वही तो तुम्हें अर्पित करने के लिए बना है।
लोग फूल, इत्र, धूप‑दीप और सोना‑चांदी चढ़ाते हैं,
मेरे पास कुछ नहीं, बस मन की सच्चाई बाकी है।
जैसा भी है, वह मन तुम्हारे चरणों में रखती हूँ,
मेरी भक्ति, मेरा प्यार, यही तो तुम्हारे लिए अर्पण है।