🌸 Story: पहली बारिश की याद
Writer: Premlata Armo
बरसात का मौसम हमेशा से ही कुछ खास होता है। पहली बूंद ज़मीन पर गिरते ही मिट्टी की खुशबू दिल को भीतर तक छू जाती है। लेकिन हर किसी की ज़िंदगी में “पहली बारिश” सिर्फ मौसम नहीं लाती, बल्कि ढेर सारी यादें भी साथ लेकर आती है।
रीमा के लिए भी पहली बारिश सिर्फ पानी की बूंदें नहीं थी, बल्कि बचपन से लेकर जवानी तक का वो अनमोल हिस्सा थी जो उसके दिल के बहुत करीब था।
बचपन में जब पहली बारिश होती, तो वो अपनी माँ के साथ छत पर दौड़ जाती। माँ हँसते हुए कहतीं—“भीग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी।” लेकिन रीमा का जवाब हमेशा एक ही होता—“माँ, ये बारिश दवा है, बीमारी नहीं।” और सच में, बारिश की वो बूंदें उसके दिल को जितना सुकून देतीं, उतनी कोई दवा नहीं दे सकती थी।
गाँव की गलियों में बच्चे बारिश में दौड़ते, मिट्टी में खेलते और कागज़ की नावें तैराते। रीमा भी हर साल अपनी छोटी-सी नाव बनाती और उसे नाली के पानी में छोड़ देती। जब नाव बहते-बहते दूर चली जाती, तो वो सोचती—“काश मेरी ज़िंदगी भी ऐसे ही बेफ़िक्र बहती चली जाए।”
समय गुज़रता गया। बचपन से निकलकर कॉलेज की दहलीज़ पर कदम रखते ही पहली बारिश का रंग भी बदल गया। अब बारिश सिर्फ मिट्टी की खुशबू नहीं लाती थी, बल्कि दिल में अनकहे जज़्बात भी जगाती थी।
कॉलेज का वो दिन रीमा कभी नहीं भूल सकती। पहली बारिश शुरू हुई थी। पूरी क्लास खिड़की से बाहर झाँक रही थी। सब हँसते, शोर मचाते हुए मैदान की ओर भागे। रीमा भी दोस्तों के साथ भीगने निकली। लेकिन उसी पल उसकी नज़र आरव पर पड़ी—जो बारिश में भीगते हुए चुपचाप आसमान की ओर देख रहा था।
उसकी आँखों में कुछ अलग ही कहानी थी। रीमा का दिल अनजाने एहसासों से भर गया। पहली बार उसे लगा कि बारिश सिर्फ भीगने का नाम नहीं, बल्कि दिल के छुपे जज़्बातों को बाहर निकालने का ज़रिया भी है।
उस दिन के बाद से बारिश और आरव जैसे एक-दूसरे से जुड़ गए। हर साल पहली बारिश आती, तो दोनों एक-दूसरे को याद करते। कभी कॉलेज की कैंटीन में बैठकर चाय और पकौड़े खाते, तो कभी छत पर खड़े होकर बारिश की बूंदें गिनते।
लेकिन ज़िंदगी हमेशा हमारी चाहतों की तरह नहीं चलती। कॉलेज खत्म होते ही आरव को दूसरे शहर नौकरी के लिए जाना पड़ा। जाते-जाते उसने रीमा से कहा—“हर साल जब पहली बारिश होगी, तुम मेरी याद करना। मैं जहाँ भी रहूँगा, तुम्हारे साथ भीग रहा होऊँगा।”
आज सालों बाद भी रीमा हर पहली बारिश पर छत पर जाती है। बूंदों को हथेलियों में समेटती है और आँखें बंद करके वही एहसास ढूँढती है। मिट्टी की वही खुशबू, दिल में वही धड़कन, और कानों में वही आवाज़—“हर बारिश में मैं तुम्हारे पास हूँ।”
उसके लिए पहली बारिश सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि उसकी यादों की सबसे खूबसूरत किताब है। एक ऐसी किताब, जिसमें बचपन की मासूमियत भी है, माँ की हँसी भी है, दोस्तों का शोर भी है और आरव का प्यार भी।
रीमा अक्सर सोचती है—
“शायद पहली बारिश हमें इसलिए इतनी यादगार लगती है, क्योंकि वो हमें हमारे अपनेपन से जोड़ देती है। चाहे वो बचपन हो, दोस्ती हो, या मोहब्बत… पहली बारिश हमेशा दिल की गहराई में छुपी सबसे प्यारी यादों को बाहर ले आती है।”