lotus 🪷 अगर तुम अपने डर को आँखों में आँखें डालकर देखते हो, और फिर भी अकेले रास्तों पर चल पड़ते हो तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम अपनी आवाज़ भीड़ में खोने नहीं देते, और सच बोलने की हिम्मत अब भी रखते हो तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम सवाल उठाते हो जब सबने चुप्पी ओढ़ ली हो, और अपने ज़मीर से अब भी नज़रें मिला सकते हो तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम उड़ते हो पंख के बिना, और अपने सपनों को औक़ात से बड़ा मानते हो तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम अपनी पहचान किसी नाम, जात, या धर्म से नहीं अपने कर्म से बनाते हो तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम्हारे अंदर का इंसान अब भी ज़िंदा है, और किसी के आँसू देखकर तुम्हारी आँखें भीग जाती हैं तो आज़ाद हो तुम।
अगर तुम्हारी हर साँस, डर से नहीं, सच से भरी है तो आज़ाद हो तुम। तो आज़ाद हो तुम।