कह दो जो... कहना है
क्यों तुम्हें मौन रहना है।
क्यों रोकना है तुम्हें
अपने आप को ।
बहने दो नयी उमंगों ,नयी तरंगों को
मन में ..
इतना क्या सोच समझकर बोलना है ?
इतना क्यों व्यवस्थित रहना है ?
कभी दिखावे के लिए मुस्कुराना है ,
तो कभी सच को छुपाना है।
तो कभी मन को मारना है
कह दो जो कहना है?
नहीं कह पाए तो तुम....बन्जर हो जाओगे!!
कह दो जो कहना है।
कहने से फैसले हो जाएंगे,
न कहने से सिर्फ... फासले होंगे !!
- Soni shakya