ये पलके है खामोशी की चादर ओढ़
जरा इनको उम्मीद की धूप दिखा दो
तुम्हें यादकर के मैं बहुत उदास हूँ
तुम भी मुझे सोचकर मुस्कुरा दो
जिस जिन्दगी में तुम्हारे सिवा मांगा ही क्या था
मेरे साथ खडे होकर मेरी जिन्दगी को जन्नत बना दो
अब तो एक बार
तुम भी अपना हाथ बढा दो
हर रोज गुजरते हो तुम मेरी ही राह गुजर से
एक बार ही सही अपनी एक झलक दिखा दो
दिखावे के लिए ही सही
एक बार मुझे गले से लगा लो
तुम भी मुझे सोचकर मुस्कुरा दो।
मीरा सिंह