Suno....
तुमको पता है न
बंधनों के कई रूप होते है...
जैसे...
सात फेरो का बंधन...
सात जन्मों का बंधन....
जन्मों जन्मों का बंधन..
ये बंधन सामाजिक रस्मो रिवाजों
से बंधे होते है
पर एक और बंधन होता है......
मन से मन का बंधन...
आत्मा से आत्मा का बंधन
दिल से दिल का बंधन
शायद इस बंधन में
कोई अग्नि साक्षी नहीं ,
हवन नहीं, कोई सात वचन नहीं
पर सबसे निकट सबसे अलग है
यहां न तो किसी को
बांधने की चाहत होती
न छूटने का मन...
बस ऐसा ही होता है
मन से मन का बंधन.....
जहां बिना स्वार्थ
बिना लालच के
एक दूसरे से बंधे होते.....
और निभाना चाहते है
ख़ुद कि इच्छा से.....💞