ज्ञान के मोती।

इस विशेष दिन पर मैं महान कवि श्री रविंद्रनाथ टैगोर के उत्थान और प्रेरणादायक शब्दों को याद करना चाहूंगा।

जहाँ मन भय रहित हो और सिर ऊँचा हो

जहाँ ज्ञान मुफ्त है

जहां दुनिया को टुकड़े टुकड़े नहीं किया गया है

संकीर्ण घरेलू दीवारों द्वारा

जहाँ शब्द सच्चाई की गहराई से निकलते हैं

जहां अथक संघर्ष पूर्णता की ओर अपने हथियार फैलाता है

जहां कारण की स्पष्ट धारा अपना रास्ता नहीं खोया है
मृत आदत की ड्रेरी रेगिस्तान रेत में

जहां मन आपके द्वारा आगे ले जाता है

हमेशा व्यापक विचार और कार्य में

स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में, मेरे पिता, मेरे देश को जागने दो।

श्रीमती भानु नरसिम्हन दीदी

#happyindependenceday 🇮🇳

Hindi Motivational by Vinod TikmanII  The Art of Living Practicner : 111946428
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