समय के साथ
चलते चलते
रीस्तो के रुप बदल जाते है,
कुछ धुप मै पके गहरे रंगो की तरह खील जाते है।
तो किसीका रंग फीका पड जाता है।
कई हाथ छुट जाते है,
कई नये रास्ते जुड जाते है।
कोई अपना पराया साथ लगता है।
कोई पराया खुन से भी गाढा रीस्ता निभाता है।
@ डो.चांदनी अग्रावत
-Dr.Chandni Agravat