प्यार क्या होता है,
शायद इसको कोई नहीं जान पाया और ना ही शायद इसका कोई जवाब दे पाएगा, क्योंकि प्यार का अर्थ हम किसी को अनंत खुशियां देना या उसको आजीवन प्यार करना है, अगर हम किसी को बेशुमार प्यार करें और वह हमें ना करें तो इसकी विपरीत हमें दुःख होता है और रोना बस रोना ही आता है। क्या यही प्यार है और यदि हम सामने वाले को बोल दे कि आज से हम तुम्हें आजाद करते हैं भगवान तुम्हें अनंत खुशियां और प्यार दे और हम दुःखी होकर बिना खाए पिए उसके प्यार का इंतजार करें तो क्या यह प्यार है। हम सामने वाले का पूरी तरह से ख्याल रखते हैं, खाने पीने से लेकर कपड़े उसकी खुशी उसके बच्चे व परिवार का ध्यान रखना तो क्या यह प्यार है। प्यार वह शब्द वह ताकत है, जिसके सहारे व्यक्ति पूरी जिंदगी गुजार देता है। प्यार कुदरत का एक ऐसा तोहफा भी है, जो हर किसी को नहीं मिलता। बिना शर्त के किसी को प्यार करना ही असली प्यार हैं। लेकिन कोई अगर प्यार के बदले थोड़ी सी केयर, थोड़ी सी चाहत थोड़ी सी खुशी मांगता है तो क्या यह गलत है। क्या किसी को झूठ बोलकर हमदर्दी दिखाना, कुछ समय साथ बिताना साथ खाना-पीना क्या यही प्यार है। चाहे इसके लिए किसी अपने सगे से कितना भी झूठ बोलना पड़े। मेरे ख्याल से एक दूसरे का इंतजार करना एक दूसरे के लिए भूखे रहना एक दूसरे के साथ कीमती यादगार वक्त बिताना इसे प्यार कहते हैं। उसकी आहट, और खुशबू से ही हमें पता चल जाए की वह गया हैं, जिसका हमें इंतजार था। जिसकी हम 24 घंटे दुआ सलामती की प्रार्थना करते हैं। शायद यही प्यार है, प्यार वह नहीं जो किसी की दौलत और शरीर से किया जाए, या प्यार वह नहीं जो झूठ बोलकर हासिल किया जाए, या प्यार वह नहीं प्यार वह नहीं जो दूसरे पर बंदिशें लगाए। प्यार तो प्यार है बेशकीमती
कीमती हीरा है। जो हर किसी को नसीब नहीं होता है,प्यार की कीमत शायद कोई नहीं लगा सकता असली प्यार वह है, जो हम किसी की बुराई देखें बिना हाथ पकड़ कर पूरी जिंदगी खुशी-खुशी गुजार दें। एक दूसरे की आजादी, एक दूसरे का मान- सम्मान, एक दूसरे का अटूट विश्वास, एक दूसरे की चाहत, एक दूसरे की तरक्की की चाहत और खुशी शायद यही प्यार है। और शायद कभी खत्म न होने वाला शब्द शायद......l
-Hameson giraj