समुद्री रास्ते से।
सबसे पहले भारत का पता लगाने वाला व्यक्ति
व्यक्ति वास्कोडिगामा था जो समुद्री रास्ते से आया
था। प्राप्त सूचना के अनुसार अब भारत और श्रीलंका के बीच नौका यात्रा शुरू होने वाली है तो
कि कम समय में भारत से श्री लंका पहुंचाएगी।
इस यात्रा में करीब 300-400 प्रति फेरी में जा
सकेंगे।
समुद्री रास्ते से मादक पदार्थों की तस्करी ज्यादा
हो रही है , वर्तमान सूचना एवं आंकड़े के अनुसार।
लेकिन वहीं समुद्री रास्ते में आने वाली परेशानियों
का बखान किया जाता है तो यह मुश्किल ही नहीं बल्कि खतरनाक है। लगभग बीस समुद्री रास्ते ऐसे
नजर आते हैं जो प्राप्त सूचना के अनुसार अंकित किया गया है।
समुद्री रास्ते से व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है। जैसे मत्स्य व्यापार । जिससे रोजगार होता है। आज
मछुआरे की संख्या अधिक है वे रोजी रोटी की तलाश में समुद्र की शरण लेते हैं।
समुद्री रास्ते से यात्रा कम समय में तय की जाती है। वैसे जल मार्ग तो देश हित में सुरक्षित है। इस
रास्ते पर हर हमेशा सुरक्षा गार्ड मौजूद होते हैं। व्यापार बड़े पैमाने पर समुद्री रास्ते का उपयोग करके
किया जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यापार
समुद्र पर निर्भर काफी हद तक है तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। करीब 80 प्रतिशत मत्स्य पालन व्यवसाय तथा अन्य व्यवसाय समुद्री रास्ते
से होता है।
जब हम समुद्री रास्ते से एक दूसरे देश की यात्रा
करते हैं तो अलग-अलग देशों की परंपराओं तथा
रहन सहन , खान पान , साज सज्जा एवं बात चीत,
संपर्क भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं। मेरीन सेवा
देश विदेश से जोड़ कर आपसी संबंधों को मजबूत करने में सक्षम हो जाती है।
पुरातन समय में समुद्री जहाज के द्वारा ही
लोग व्यापार के सिलसिले में दूसरे देश की यात्रा
करते थे जिसका गवाह इतिहास है। प्राचीन काल, मध्य काल तथा वर्तमान सभी कालों में समुद्री
रास्ते उपयोगी सिद्ध होते हैं।
-Anita Sinha