सड़कों पर उड़ती है धूल.....
सड़कों पर उड़ती है धूल।
खिला बहुत कीचड़ में फूल।।
मजहब का बढ़ता है शोर,
दिल में चुभे अनेकों शूल।
मँहगाई का है बाजार,
खड़ी समस्या कबसे मूल।
नेताओं की बढ़ती फौज,
दिखे कहाँ कोई अनुकूल।
सीमाओं पर खड़े जवान,
बँटवारे में कर दी भूल।
हुए एक-जुट भ्रष्टाचारी,
राजनीति में उगा बबूल।
जाति-पाँति की फिर दीवार,
हिली एकता की है चूल।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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