जिंदगी भर का वनवास....
बहुत दूर चली जाऊंगी.. महफिल से लूंगी अज्ञातवास.!! अब कुछ बरस का नहीं जिंदगी भर का होगा वनवास..!!
तुम्हारे बिना जिंदगी जीने का तरीका मिल जाएगा.. शायद,,मुझको मेरे सवालों का जवाब मिल जाएगा..
अब खामोशी होगी चारों तरफ जैसे होगा एकांतवास
अब कुछ बरस का नहीं जिंदगी भर का होगा वनवास..!!
कुछ अपनों से दूर कुछ अपनों के करीब भी आए... इधर-उधर बहुत घूमे अब खुद की तलाश में हम आए...
तोड़ दूंगी की,,अब तेरी यादों का खत्म होगा कारावास..
अब कुछ बरस का नहीं जिंदगी भर का होगा वनवास..!!
खुला आसमान होगा अब परिंदे साथ गीत गायेंगे..
खुद को इतना तरासेंगे..की कुंदन बन कर दिखायेंगे...
काल्पनिक दुनिया दुरी बनेगी मेरा अब होगा संन्यास...
अब कुछ बरस का नहीं जिंदगी भर का होगा वनवास..!!
जीवन जीने के लिए अब एक नई रह हम चुनेंगे...
अधूरा ख्वाब बनकर हर पल तेरी आंखों में चूभेगे...
मेरी पवित्र प्रेम भक्ति पर..अब करना होगा विश्वास..
अब कुछ बरस का नहीं जिंदगी भर का होगा वनवास..!!