ईश्वर बनाना चाहती हूं...
सब समर्पण कर नश्वर होना चाहती हूं..!!
मैं तुम्हें अपना...ईश्वर बनाना चाहती हूं..!!
प्रेम खिला जब हृदय में महका जग सारा..
वो आसमा में चमके जैसे कोई ध्रुव तारा...
सुगंधित हूं तेरे प्रेम में सुंदर होना चाहती हूं..
मैं तुम्हें अपना....ईश्वर बनाना चाहती हूं..!!
नीत सुबह शाम करती रहूं तेरा वंदन मैं..
घिस-घिसकर खुद बन जाऊं तेरा चंदन मैं..
तुझे मन की मूरत मैं मंदिर बनना चाहती हूं
मैं तुम्हें अपना...ईश्वर बनाना चाहती हूं..!!
पलकों को बंद कर..मैं तेरा दर्शन करूं..
रोम रोम तुझ पर..मैं अपना अर्पण करूं..
बिना छुए तुझमें ही मैं रम जाना चाहती हूं..
मैं तुम्हें अपना...ईश्वर बनाना चाहती हूं..!!
सब समर्पण कर नश्वर होना चाहती हूं..!!
मैं तुम्हें अपना...ईश्वर बनाना चाहती हूं..!!