प्रेम के सिर्फ़ उदाहरण होते हैं परिभाषा नहीं!
भाषा होती है ज़ुबान नहीं! ❤️
प्रेम जोड़ता है टूटने से।
बचाता है हार जाने से।
प्रेम बहुत सिंपल सा कोंप्लिकेटेड है।
आप उलझेंगे और निकल नही पाएँगे।
इल्ज़ाम लगाएँगे पर सज़ा नहीं दे पाएँगे।
बोलेंगे पर कुछ कह नही पाएँगे।
प्रेम विषय नहीं है माया है, जिसको ऐसा लगता है कि समझ में आगया वो उससे उतना ही दूर होता जाता है। प्रेम जिया जाता है किया नही जाता।
प्रेम मतलब तुम होता है।
मैं होता हूँ! हम होते हैं। हर बार! बार बार! लगातार!
प्रेम पीड़ा भी है और सुकून भी।
प्रेम बस वक़्त में घूमता वक़्त से परे एक एहसास है। जिसने जिया वो मरा...!! ❤️
-kanchan Savi