♥लव यू ज़िन्दगी♥
मैं,
मैं हूँ चाहे
जैसी भी हूँ....
खुद से
ही खुश हूँ
चाहे कैसी भी हूँ....
नहीं हूँ
मैं अति सुन्दर
ना छरहरी छाया....
ना ही
नायिकाओं
सी मेरी है काया....
मैं हूँ
ज़िन्दगी
उनकी लेकिन
खुद पे ही नाज़ है....
मजबूत
आत्मविश्वाशी
और ख़ुद पे पूरा
भरोसा यही छाया है मेरी....
क्या करुँ
क्या नहीं करूँ मैं
अब नही करनी किसी की परवाह....
अब तो
लगता है वही करूँ
जो दिल में दबा के रखी थी चाह....
बच्चे
उड़ चुके या
उड़ने ही वाले हैं,
घोसलों से नई दिशाओं में....
हम भी चुनेगें
अब अपने पसंद की जमीं,
और आसमां नई आशाओं में....
अब अपने
घोंसले को ही नहीं,
खुद को भी सजाना है....
मैंने बहुत
मनाया सब को,
अब खुद को भी मनाना है....
सूख चुकी
कुछ उम्मीदों को,
फिर से पूरा सींचना है....
रूठी हुई
ख्वाहिशों को
गले लगा भींचना है....
जीऊँगी मैं
ज़िन्दगी को फिर से,
अब एक नई सी उमंग में....
लिए अपनी
सभी तमन्नाओं को
अपने रंग और संग में....
थाम हाथ में
उन जुगनुओं को
फिर से खिलखिलाऊँगी....
नए सफ़र को
नई उम्मीदों की मैं
रौशनी से जगमगाऊँगी....
मैं फिर से
बचपने के करीब हूँ,
लिखूँगी फिर से अपनी ज़िन्दगी....
मैं अब
खुद ही तेरा
और अपना नसीब हूँ....
ओ पगलू
अब ये ज़िन्दगी तो
तेरे लिए ही सलामत है....
तेरी हूँ
तेरी रहूँगी मैं
बस तू कबूल तो कर....
यूँ तो
मैंने कभी
दिल्ली नहीं जीती....
लेकिन
दिल तो मैंने
हमेशा सभी के जीते हैं....
हाँ जी
हाँ की मैंने
तुम्हारे हर बोल की....
मैं ज़िन्दगी हूँ
मुझे जी के देखना
मैं हर ख़्वाब में तेरी हूँ....
ज़िन्दगी हूँ मैं तेरी बस तू कबूल तो कर....
ज़िन्दगी हूँ मैं तेरी बस तू कबूल तो कर....
♥लव यू ज़िन्दगी♥