इतना ज्यादा क्यूँ गभराते स्त्री पुरुष से पुरुष स्त्री से!
दोस्तों बिच बोल चुके हो डरता नहीं किसी बाप से!
कहते है हम एक नज़र से किसीको समझ लेते हैँ!
दोस्ती बढाने से पेहले क्यूँ समझ नहीं लेते खुद से?
बहोत आगे बढ़ जाने के बाद मेहसूस करते खुद हो !
बादमे इनसे क्यूँ डरते हो,बाप से नहीं अपने आप से ?
- वात्सल्य