स्त्रियों का मन ब्लाउज़ के हुक में
फँसा हुआ नही होता कि
जिसको खोलते ही
उसका मन भी खुल जाए।
न मंगलसूत्र की तरह गले में बंधा होता है
कि उसके बंधते ही
उसका मन भी बंध जाये।।
स्त्री का मन एक यात्रा है!!
और ये आप पर निर्भर है कि
आप कहाँ तक पहुँचते है।
...skm
-किरन झा मिश्री