बहूत दर्द होता है जब कोई चीज़ अधूरी ही रह जाए, जाहे वोह रिश्ता हो, कहानी हो, बातें हो या इंतेज़ार हो। बस ज़िंदगी इसी ख्वाबों में बीत जाती है कि वोह कल आएगा जो मेरा येह अधूरा काम कर देगा और वो कल कभी आता ही नही। मेने यार किसीकी दिल से निभाई गई दोस्ती बीच रास्ते में छोड़ दी। वो अगला पुरी सिद्दत से उसे निभाये जा रहा है और मुझे पता तक नही था।
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"Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti
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