तेरा नाम लिखा होता गर मेरे नाम के आगे
सब दिन मेरे कुर्बान थे उस शाम के आगे
बहक जाए लफ्ज़ मेरे तो माफ करना यारों
अभी शराब बाकी है इस जाम के आगे
तेरा नाम लिखा होता गर मेरे नाम के आगे
इन बेशर्म गलियों से मेरा वास्ता ही कब था
ये शायरी ये गजले मेरा रास्ता ही कब था
तेरा जाना आखिर मुझे ही सवाल कर गया
मेने लिखा ही नही तेरे इल्जाम के आगे
ये झटपटाहट ये बैचेनी ये गुस्सा क्यों है
आईने मे परेशान ये शख्स आखिर मुझसा क्यों है
गर में नही तो क्यू आबाद है समीर की दुनिया
गर में हूं तो मोहब्बत लिखो इस शायर बदनाम के आगे
तेरा नाम लिखा होता गर मेरे नाम के आगे