ग्रीष्म काल बरसात सुहाई....
ग्रीष्म काल बरसात सुहाई, इस मौसम में ।
लुकते-छिपते ठंडक आई, इस मौसम में।।
आँख दिखाई बुलडोजर ने, अपराधों पर,
उनको आने लगी रुलाई, इस मौसम में।
गुंडों का साम्राज्य बढ़ा था, यू पी में भी,
सज्जनता से हुई सगाई, इस मौसम में।
यू पी में बुलडोजर छाया है बाबा का,
जग में दिखती गूँज सुनाई, इस मौसम में।
दो संन्यासी चला रहे हैं, राजनीति को,
देखो दिखने लगी सफाई, इस मौसम में।
तुष्टिकरण की राजनीति का अंत हुआ अब,
सबका हो सम्मान बधाई, इस मौसम में।
आतंकों का गया जमाना, काश्मीर से,
सेव फलों से हुई कमाई, इस मौसम में।
तेजी से सब सुलझ रहे हैं, बिगड़े कारज,
विदेशी विनिवेश लुभाई, इस मौसम में।
जी एस टी से भरी तिजोरी हिन्दुस्ताँ की,
पाकिस्तानी करे बड़ाई, इस मौसम में।
विश्व गुरू का मान मिला है, फिर भारत को,
शत्रु देश की हुई धुलाई, इस मौसम में।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "