*"एक कागज का टुकड़ा*
*गवर्नर के हस्ताक्षर से*
*नोट बन जाता है,*
*जिसे तोड़ने, मरोडने,*
*गंदा होने एवँ जज॔र होने से भी*
*उसकी कीमत कम नहीं होती...*
*आप भी ईश्वर के हस्ताक्षर है,*
*जब तक आप ना चाहे*
*आपकी कीमत कम*
*नहीं हो सकती,*
*आप अनमोल है ,*
*अपनी कीमत पहचानिये.*
*Good Morning*
-SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》