बड़ी उम्मीद थी खुद से, पर कुछ हासिल न कर पाया
लोग मंजिलों की बात करते, मै खुद को न समझ पाया
जन्म लिया तो मां ने सीने से लगाया, दुआओं से नहाया
पिता ने समझा, मैं उनके लिऐ नया भविष्य लेकर आया
ऐसा कुछ नहीं हुआ, उनका वर्तमान सदा ही कसमसाया
दुःख उनका कैसे समझता ? खुद में ही रहता सदा खोया
भविष्य मेरा उनकी आंखों में लहराता, पेट काट पढ़ाया
जान के उनकी चिंताओं को, कुछ भी तो नहीं कर पाया
बड़ा अफसोस अब आंखों में तैरता, काश कुछ समझता
उम्र की रेखा उनकी छोटी न होती, श्रवण उनका बनता
उनका परिवार में मैं था, बहुत कुछ सदा उनसे ही सीखता
इतना ही मैने किया, उनका दिया जीवन उन्हीं तरह जीता
फक्र करता पिता के ज्ञान पर, मां के दिए आशीर्वाद पर
जन्म मिला कभी दुबारा, प्रार्थना उनका हाथ मिले सर पर
अफसोस ही है, अगर कोई माता पिता को न समझ पाता
सदा ही अधूरा रहता, जो बेटा होने का विश्वास न दे पाता
✍️कमल भंसाली