कैसे कह दूं की, अब हम साथ नहीं,
दिन वही, रात वही,
रही अब वह बात नहीं ।
नजरे अब भी टकरा जाती है नजरो से,
दिल वही, आंखे वही,
पर अब वह जज़्बात नहीं।
चलते हैं आज भी हम ,एक ही रास्ते पर,
मंज़िल वही, नज़ारे वही,
अब वह कदमोंकी आहट नही।
चुपचाप गुजर रही है जिंदगी,जैसे हो नाराज़,
मौसम वही, त्यौहार वही,
पर अब वह मुस्कुराहट नही।
न आने की शिकायते कर रही है वह गली,
बंद मकान, स्थगित सामान पूछ रहे हैं,
क्या अब तुम साथ नहीं ?
✍️ સરગમ
-Priyanka Chauhan