वैराग्य का फल बोध अर्थात् ज्ञान है, ज्ञान का फल उपरति - विषयों से विरत होना है और उपरति का फल आत्मानन्द के अनुभव से प्राप्त शान्ति है।
अखण्डानन्द रूप आत्मा को अपना वास्तविक स्वरूप जानकर, सदा इस आत्मा में ही बाहर और अन्दर आनन्द रस का आस्वादन प्राप्त करना चाहिये।
जय श्री राम जय श्री कृष्णा🙏
हर हर महादेव🚩🙏
-किरन झा मिश्री