कभी कभी मन को चुप कराकर बैठ जाता हूं मैं कोने में।
करूं दर्शन उसके इस नज़रों करम का, उसके अहले दिल का, उस चिराग़ ए रोशनी का
क्यूं गवाऊ वक्त अपना रोने धोने में।
मगर ये लोग कहते है ज़माना थूक देगा तो
अगर तूने कमाया न और शादी न करेगा तो।
इसी जंजाल में हम सब अदालत को लिए बैठे।
कोई ऊंचा कोई नीचा कोई तो अकड़ के बैठे।
कहते हैं सभी की दर तो बस उसका ही ऊंचा है।
मगर फिर भी दवा खाना समजिकता का देखो खोल के बैठे।
-Anand Tripathi