❤️ प्रेम यानी प्यार ❤️
फलसफा प्यार में ही इतना रहा, दिल जिस्म में डूबा रहा
इतफाकी रस्मों से सच्चा प्यार, प्यार से ही सदा दूर रहा
कहने को बहुत कुछ पर सब कुछ कहना सही नहीं होता
मुस्कराते चेहरे में तन्हा जिंदगी का बहुत सा हिस्सा होता
प्रेम के दिवस हजारों पर सच्चा प्रेम कम ही नजर आता
उन्मादी रिश्तों में सिर्फ मदहोशी का जल्वा अखर जाता
प्रेम क्या है ? सच्ची परिभाषा का सदा मोहताज दिखता
बंधन कोई भी हो, बिन स्वार्थ के अंदर से उभर न पाता
उपहारों में खोया प्यार आखिर कब तक सलामत रहता ?
दिल टूटने की वजह बन अफसोस की दास्तां लिख जाता
दावे हजार कर लो पर पहले दिल की इनायत परख लो
वादे कसमों में छिपी असहज कामनाओं को संभाल लो
जज्बाती हो प्रेम जब किसी गुलदस्ते की शोभा को बढ़ाता
यकीन करो मेरा बिन महक के अस्तित्व पर झुंझला जाता
कहना सही लगता, प्यार उत्सव का मोहताज नहीं होता
"कमल" प्यार दिल का नूर है, बिन दर्शाये भी दिख जाता
✍️कमल भंसाली